Monday, March 7, 2016

भेड़ के भेष में भेड़िए

भेड़ के भेष में भेड़िए

अजीब बात है

भेड़ियों के बीच भेड़ को प्रभु यीशू भेजते हैं और भेड़ों के बीच भेड़िए को शैतान भेजता है।

झूठे भविश्यद्वक्ता की परिभाषा:

झूठे नबी झूठे इसलिए हैं की वे झूठ बोलते हैं। उनका तीर कहीं होता है ओर निशाना कहीं कपट से भरा रहता है। – मत्ति ७:१५-२२
सुनने वाले कुछ सुनते हैं पर प्रचारक का उद्दैश्य कुछ और रहता है।

यहेजकेल – अध्याय १३:३,३,६,७

२ – जो भविष्यद्वक्ता अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं, उनके विरुद्ध भविष्यवाणी कर
३ – प्रभु यहोवा यों कहता है, हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया!
६ – उन्होंने भविष्य का व्यर्थ और झूठा दावा किया है; तौभी यहोवा ने उन्हें नहीं भेजा।
७ – क्या तुम्हारा दर्शन झूठा नहीं है, और क्या तुम झूठ-मूठ भविष्य नहीं कहते? तुम कहते हो कि यहोवा की यह वाणी है; परन्तु मैं ने कुछ नहीं कहा है।

इस समूह में कौन कौन शामिल होता है?

ये कोई भी हमारे बीच में हो सकता है

इसकी लिस्ट मे प्रचारक, पास्टर, सीनियर पास्टर, रेवरेंड, बिशप से लेकर एक आम विश्वासी भी हो सकता है जिसे शैतान इस भूमिका के लिए यानी “झूठ” फैलाने में चाहे वचन, बोलने या जीवन के द्धारा इस्तेमाल कर सकता है।

उदाहरण के तौर पर सर्प को शैतान ने इस्तेमाल किया, यहूदा को शैतान ने इस्तेमाल किया।
तो प्रभु यीशू कहते क्या हैं?

झूठे अगुओं / प्रचारकों से सावधान रहो, या झूठ को सत्य के लिबास में पेश करने वालों के ख़तरे को समझो उनका भेष भेड़ों का तो है पर वो हैं भेड़िए, वे उन्हे लूट लेंगे, ज़ख़्मी करेंगे, मिटाएँगे, नष्ट करेंगे।

प्रभु यीशू ने उनकी पहचान आसान कर दी है

उन्हें पहचानने केलिए खून की जाँच, एक्स-रे या उनकी उपाधि देखने की ज़रूरत नहीं है बस उनके फलों को देखना है

प्रभु यीशू ने कहा –

  • झाड़ियों से अंगूर नहीं तोड़ते
  • कंटीली झाड़ियों से अंजीर नहीं तोड़ते
  • अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है
  • निकम्मा पेड़ निकम्मा फल लता है
  • अच्छा पेड़ बुरा फल नही ला सकता
  • निकम्मा पेड़ अच्छा फल नहीं ला सकता

उनके फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे। और यदि लूका ६:४३-४५ को देखें तो इन वचनों के आगे प्रभु यीशू कहते हैं।

  • भला मनुष्य अपने मन के भले भंडार सेभली बातें निकालता है
  • बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भंडार से बुरी बातें निकलता है
  • जो मन में भरा है वही उस के मुँह में आता है
पर सही मायने में ये मुँह के वचन फल हैं जो की क्रिया कर्मों में भी बदल जाते हैं

मत्ति ७:२२-२३ में प्रभु यीशू कहते हैं –

जब तुम मेरा कहना नहीं मानते तो क्यों मुझे हे प्रभु हे प्रभु कहते हो। उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए? तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ।

  • हाँ भविष्यवाणी करी थी पर झूठी थी
  • दुष्ट आत्माओं को निकालने का दावा था पर झूठा था
  • तुम्हारे बहुत चमत्कार के दावे झूठे थे

झूठे अगुओं / प्रचारकों और नबियों के आम गुणों को देखें

यहाँ हम २५ तरह के गुण बता रहे हैं इनकी संख्या अधिक हो सकती है

  1. वे सरल सादे विश्वासीओं को नीची दृष्टि से देखते हैं
  2. ग़रीबी की निंदा करते हैं। ग़रीबों को विश्वास में कमज़ोर समझते हैं.
  3. धन वैभव को आत्मिकता से जोड़ते हैं
  4. पाप के बारे में बहुत कम बात करते हैं
  5. पश्चाताप या मन फिराव के बारे में बहुत कम सुनाते हैं
  6. प्रभु यीशू के बारे में बहुत कम बोलते हैं
  7. क्रूस उठाने की बात कभी ज़बान पर नहीं लाते हैं
  8. अपने आप का इनकार नहीं पर अपनी स्वेच्छा सर्वोपरि रखते हैं
  9. उनमें बोलने मे चतुर होते हैं और अपने हर संदेश को धन से जोड़ लेते हैं
  10. अपने गर्व के लिए हमेशा बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित करते हैं जहाँ अपना नाम करते हैं
  11. प्रभु यीशू और प्रार्थना को एक सीडी की तरह इस्तेमाल दुनिया को पाने के लिए करते हैं
  12. संख्या का उन्हे गर्व रहता है
  13. पैसों के उपर अक्सर प्रचार करते हैं
  14. उनका छिपा उद्दैश्य रहता है की लोगों से और क्या मिल सकता है
  15. पैसे वालों की संगत करना चाहते हैं
  16. हमेशा मनुष्य की वाह-वाही उन्हें पसंद है
  17. पहाड़ी उपदेश उन्हें मसीही जीवन के लिए वास्तविक नहीं लगते
  18. प्रभु यीशू का पुनः आगमन उन्हें बहुत दूर होने वाली घटना लगती है जिस ओर वो अभी ध्यान नहीं दे सकते
  19. अभी का आनंद उन्हें चाहिए, आने वाली महिमा के मद्देनज़र वे आज दुख नहीं सहना चाहते
  20. नम्रता उनमे नहीं होती है
  21. वे आसानी से क्षमा नहीं करते हैं ओर ईर्ष्या रखते हैं
  22. सुसमाचार प्रचार उन्हें मामूली लगता है ओर हमेशा कुछ बड़ा काम करना चाहते हैं
  23. विश्वास समय-समय पर अनुभव करना चाहते हैं, विश्वास की दशा मे जीना नहीं चाहते
  24. उनके पास सत्य होने का दावा होता है पर अनुग्रह नहीं होता
  25. उन्हें मैं, मेरा, और हमारे, से प्रेम रहता है संसार से प्रेम और परमेश्वर से शत्रुता है इस पर उनका ध्यान नहीं जाता

शिष्य थॉमसन
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